MP KISAN NEWS 2024: जर्मनी के सहयोग से आत्निर्भर हो रहे हैं मध्य प्रदेश के किसान, आप भी उठा सकते हैं इस कार्यक्रम का लाभ

MP KISAN NEWS : MP NEWS। MP Update। Govt of MP। MP CM decisions, जर्मन संस्था (GIZ) तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा किया गया कार्यशाला का आयोजन मध्यप्रदेश में पंचायतें भारत और जर्मनी के सहयोग से सतत हरित विकास भागीदारी कार्यक्रम (Sustainable green development partnership program) के अंतर्गत चल रही 16 परियोजनाओं के माध्यम से संवहनीय खेती अपनाकर कृषि के क्षेत्र में तेजी से आत्म-निर्भर बन रहीं हैं।

आत्मनिर्भर पंचायत-समृद्ध मध्यप्रदेश पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में जनजातीय जिलों की पंचायतों से आई कृषक महिलाओं ने उत्साह से अपनी उपलब्धियां बताई। इसका आयोजन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और जर्मन संस्था जीआईजेड द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री प्रहलाद पटेल के उत्साहवर्धन पर जनजातीय महिलाओं ने विस्तार से आत्मनिर्भर खेती पर चर्चा की।

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क्या है GIZ?

उल्लेखनीय है कि जर्मनी सरकार और भारत सरकार के बीच 2022 में हुए एक समझौते के मुताबिक हरित सतत विकास साझेदारी कार्यक्रम में मध्यप्रदेश में 16 परियोजनाएं चल रही है (पूरे देश में 50 परियोजनाएं चल रही है)। यह समझौता 2030 तक चलेगा। दोनों देशों की कैबिनेट स्तरीय बैठक इसी साल अक्टूबर माह में होने वाली है।

जर्मनी की सरकार भारत को 90 हजार करोड़ रुपए देने के लिए वचनबद्ध है, जिसमें हर साल भारत को दस हजार करोड़ रुपए मिल रहे हैं। इन परियोजनाओं का संचालन जीआईजेड (GIZ) और बैंकिंग संस्था केएफडब्ल्यू (KFW) द्वारा हो रहा है।इस समझौते का उद्देश्य पिछले कई दशकों में जर्मनी देश ने सतत विकास के विभिन्न माडल पर कार्य करते हुए जो सीखा है उसे अन्य देशों से साझा करना है।

फिलहाल ऊर्जा, पर्यावरण, शहरी विकास और आर्थिक विकास के मुद्दों पर काम कर रहा है। मध्यप्रदेश में पहले से चल रही है 16 परियोजनाओं में और ज्यादा इजाफा करने के लिए प्रयास किया जायेगा। यह परियोजनाएं जलवायु परिवर्तन, आजीविका मिशन, एग्रीकल्चर इकोलॉजी, शहरी विकास, ग्रीन मोबिलिटी और जैव विविधता जैसे मुद्दों पर काम हो रहा है। पेरिस में 2015 में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के उद्देश्यों और संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा घोषित सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने में सहयोग देना इसका दूसरा प्रमुख उद्देश्य है।

उपरोक्त परियोजनाओं के परिणामस्वरूप सफल हुए कुछ किसानों की

मंडला जिले के ग्राम पंचायत कांसखेड़ा की एक कृषक दीदी ने गाय, गोबर और गोमूत्र आधारित खेती से संबंधित जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे सिंहपुर गांव रासायनिक खेती से मुक्त हुआ और अब यहां पूरी तरह से प्राकृतिक खेती हो रही है।

मंडला जिले की ही बिछिया विकासखंड की एक किसान दीदी ने मछली पालन, मुर्गी पालन और पशु शेड का उपयोग कर जैविक खाद उत्पादन के संबंध में जानकारी दी। इस गांव में 65 किसान दीदियों ने अपने घरों में किचन गार्डन विकसित किया है और सब्जियां उगा रही हैं।

किसानों को स्वचालित जीवामृत उत्पादन संयंत्र, प्लांट क्लीनिक और सामुदायिक जैव संसाधन केंद्र के मॉडल की भी जानकारी इस कार्यक्रम में दी गई। यह प्लांट क्लीनिक सागर के बंडा में चल रहा है। साथ ही किसानों को पौधों में लगने वाले विभिन्न रोगों और उनके रोकथाम के विषय में भी जानकारी दी गई।

मंडला के एक अन्य गांव में जीवामृत और जैविक खाद को गोमूत्र से तैयार किया जा रहा है साथ ही जैविक कीटनाशक भी निर्मित किया जाता है। यहां की एक कृषक दीदी ने बताया कि एक बार में 2000 लीटर जीवामृत बन जाता है और इसमें ज्यादा परेशानी भी नहीं होती।

सागर जिले के एक गांव की कृषक दीदी बताती है कि उन्होंने वर्मी कंपोस्ट बनाने का काम शुरू किया है। चार टैंक तैयार किए गए हैं और 10 गांव में वर्मी कंपोस्ट की सप्लाई कर उन्हें करीब 20 हजार रूपये का फायदा भी हो चुका है।

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