MP NEWS : मध्य प्रदेश के किसानों के लिए खुशखबरी, अगले 5 वर्षों में सिंचाई को दोगुना करने का है लक्ष्य, देखे सम्पूर्ण जानकारी

MP NEWS : जैसा कि हम सब जानते हैं कि मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है लेकिन अत्यंत उपजाऊ भूमि होने के बावजूद भी यहां का किसान उतना सक्षम नहीं है जितना होना चाहिए। इसके पीछे एक बड़ा कारण है प्रदेश में सिंचाई संबंधी अधोसंरचना का धीमा विकास लेकिन पिछले कुछ वर्षों से सरकार का ध्यान इस विषय पर लगातार केंद्रित है और उसका परिणाम हमें बढ़ते कृषि रकबे के रूप में देखने को मिल रहा है।

मध्य प्रदेश में पहले की अपेक्षा कृषि अधोसंरचना का विकास हुआ है किंतु इसे और गति देने की गुंजाइश हमेशा से बनी रहती है इसी बात का ध्यान रखते हुए प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में सिंचाई की सुविधा के निरंतर विकास और विस्तार के साथ ही जल के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करने की दिशा में सरकार लगातार कार्य कर रही है।

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अगले 5 वर्षों में सिंचाई का रकबा दोगुना करने का लक्ष्य

आने वाले कुछ वर्षों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक अत्यंत महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया है जिसके तहत प्रदेश में अगले 5 वर्षों में सिंचाई का रकबा दोगुना किया जाना है संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने यह जानकारी दी है कि सरकार लगातार किसानों के हितों को ध्यान में रखकर अपनी कार्ययोजना बनाती है, उन्होंने जानकारी दी कि वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में निर्माणाधीन सिंचाई परियोजनाओं एवं नए कार्यों के लिए पर्याप्त प्रावधान किया गया है, और इससे प्रदेश में सिंचाई के रकबे में अभूतपूर्व वृध्दि होगी।

पहले की तुलना में सिंचाई सुविधाओं का हुआ है तेजी से विस्तार

जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने कहा है कि प्रदेश में वर्ष 2003 में सिंचाई की स्थिति बहुत खराब थी वर्तमान में प्रदेश के सिंचाई क्षमता लगभग 50 लाख हेक्टेयर हो गई है।

2028–29 तक सिंचाई को 1 करोड़ हेक्टेयर तक विस्तारित का लक्ष्य

जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने यह जानकारी भी दी है कि प्रदेश के सिंचाई रकबे को वर्ष 2025-26 तक 65 लाख हेक्टेयर एवं वर्ष 2028-29 तक एक करोड़ हेक्टर सिंचाई का रकबा किए जाने का हमारा लक्ष्य है इससे प्रदेश के किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा और मध्य प्रदेश का भी तेज़ी से विकास होगा।

आधुनिक सिंचाई तकनीकों का होना है प्रयोग

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” के उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रदेश में 133 बृहद एवं मध्यम प्रेशराइज सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली आधारित परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और इन परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 48 लाख हैक्टर सिंचाई क्षमता में वृद्धि होगी इसी प्रणाली का उपयोग कर प्रदेश पूर्व निर्मित सिंचाई परियोजनाओं के अतरिक्त जल से (जो सामान्यतः इस्तेमाल नहीं हो पाता) अतिरिक्त सिंचाई क्षेत्र विकसित करने की दिशा में अग्रसर है।

नदी जोड़ो परियोजनाओं से भी होंगे कईं लाभ

केन-बेतवा लिंक परियोजना जिसकी अनुमानित लागत रुपए 44 हजार 605 करोड़ है; यह बुंदेलखंड क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए वरदान सिद्ध हो सकती है परियोजना के पूर्ण होने पर प्रदेश के 10 जिलों के 01 हजार 900 ग्रामों में 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में वार्षिक सिंचाई सुविधा के साथ 41 लाख की आबादी को पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी इसके अतिरिक्त इस परियोजना से 130 मेगावाट विद्युत उत्पादन भी होगा जिससे मध्य प्रदेश के विकास की गति बढ़ेगी

मध्यप्रदेश की राजस्थान के साथ एमओयू अनुसार पार्वती-कालीसिंध-चंबल अंतर्राज्यीय नदी लिंक परियोजना के निर्माण संबंधी सैद्धांतिक सहमति हुई है। इस परियोजना से प्रदेश के 10 जिलों में 04 लाख हेक्टेयर नवीन सिंचाई क्षमता संवर्धित होगी तथा पेयजल एवं उद्योग के लिए भी जल उपलब्ध होगा।

नर्मदा घाटी विकास परियोजना के पूर्ण होने पर लाभ

नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण के द्वारा मध्य प्रदेश को आवंटित 18.25 MAF नर्मदा जल का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सिंचाई परियोजनाओं का क्रियान्वयन तेजी से किया जा रहा है नर्मदा घाटी की समस्त सिंचाई परियोजनाओं के पूर्ण होने पर लगभग 28 लाख 41 हजार 111 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण एवं संधारण के लिए वर्ष 2024-25 में रुपए 13 हजार 596 करोड़ का प्रावधान प्रस्तावित है।

बजट से होगी सिंचाई क्षेत्र में अभूतपूर्व वृध्दि

हाल ही में प्रस्तुत बजट में जल संसाधन विभाग के द्वारा सिंचाई के लिए किए गए प्रमुख प्रावधानों में कईं प्रावधान किए गए हैं, जैसे

  • बांध तथा संलग्न कार्य के लिए 2860 करोड़,
  • नहर तथा उनसे संबंधित निर्माण कार्य के लिए 1197 करोड़,
  • कार्यपालिक स्थापना के लिए 1071 करोड़,
  • लघु एवं लघुत्तम सिंचाई योजनाओं के लिए 631 करोड़,
  • सिंचाई एवं पेयजल योजनाओं के सौर ऊर्जाकरण के लिए 200 करोड,
  • केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना के लिए 200 करोड़,
  • बांध एवं नहरें के लिए 116 करोड़ तथा नहरें एवं तालाबों के लिए 110 करोड रुपए का प्रावधान शामिल हैं।

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