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शाही सवारी होती है पूरे देश के लिए आकर्षण का केन्द्र– मध्य प्रदेश के एकदम बीच में या कहें उसके हृदय में बसा उज्जैन पूरे भारत के लिए आध्यात्मिक भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह ऐतिहासिक शहर, जो बाबा महाकालेश्वर का घर है पूरे वर्ष अपनी ओर भक्तों की एक स्थिर धारा को आकर्षित करता है और उन्हें इस धरा के अलौकिक वैभव को अनुभव करने के लिए मजबूर करता है। देश के कोने-कोने से भगवान महाकालेश्वर के भक्त पवित्र शहर उज्जैन में पूजा करने और भव्य महाकाल सवारी में भाग लेने के लिए एकत्रित होते हैं।
श्रावण और भाद्रपद पद के महीनों में ही होता है आयोजन
वैसे तो उज्जैन में पूरे वर्ष भक्तों का जमावड़ा रहता है, मगर सावन और भाद्रपद के महीने भक्ति और उत्साह की भावना को और भी कईं गुना बढ़ा देते हैं; क्योंकि हजारों लोग भव्य महाकाल सवारी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं। बाबा महाकाल की यह जीवंत और राजसी शोभायात्रा हिंदू कैलेंडर के सावन और भाद्रपद महीनों के दौरान हर सोमवार को शहर से होकर गुजरती है, जो भगवान महाकाल की अपने भक्तों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए दिव्य यात्रा का प्रतीक है। इन महीनों के दौरान हर सोमवार को आयोजित होने वाली शाही सावरी हर एक श्रृद्धालु को अपनी ओर आकर्षित करती है। इतिहास और श्रद्धा से भरी यह सदियों पुरानी परंपरा, उज्जैन को आस्था और उत्सव के जीवंत ताने-बाने में बदल देती है।
उज्जैन के राजा भगवान महाकाल अपने भक्तों पर कृपा बरसाने के लिए उज्जैन नगर का भ्रमण करते हैं।
इस ब्लॉग में हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि इस वर्ष यानी 2024 की शाही सवारी कब आयोजित की जानी है। इस वर्ष की शाही सवारी के विषय में और क्या-क्या बातें हैं जो आपको पता होना चाहिए उन्हें भी हम यहां जानने का प्रयास करेंगे।
महाकाल सवारी 2024
इन दो महीनों के प्रत्येक सोमवार को यह शोभायात्रा प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से शुरू होती है, जिसके केंद्र में भगवान शिव की मूर्ति होती है। पूरे शहर का वातावरण अद्भुत होता है। ढोल की थाप, हर्षोल्लास, जयकारों और प्रार्थनाओं से पूरा शहर उल्लासित हो उठता है। हजारों भक्त जुलूस मार्ग पर फूल चढ़ाते हैं और भगवान महाकाल की एक झलक पाने के लिए कतार में खड़े होते हैं।
यह शोभायात्रा शिप्रा नदी के तट पर स्थित प्रतिष्ठित रामघाट तक जाती है, जहाँ भजनों के बीच ‘अभिषेक’ और ‘पूजा’ के पवित्र अनुष्ठान किए जाते हैं। यह दिव्य दृश्य महाकालेश्वर मंदिर में वापसी के साथ समाप्त होता है, जो आशीर्वाद और आध्यात्मिक कायाकल्प का मार्ग छोड़ता है। यदि आप उज्जैन में उपस्थित नहीं हो सकते हैं तो आप इस पूरे कार्यक्रम को घर पर ही लाइव देख सकते है क्योंकि इसका सीधा प्रसारण बाबा महाकाल मंदिर समिति के फेसबुक पेज से किया जाता है।
5 अगस्त को तीसरी सवारी में बना विश्व रिकॉर्ड
इस वर्ष की तीसरी सवारी को उज्जैन में एक विश्व रिकॉर्ड भी बनाया गया, लगभग 1500 डमरुवादकों ने एक साथ डमरु वादन कर इस सवारी को और ऐतिहासिक बना दिया क्योंकि इसके कारण उज्जैन और यहां को शाही सवारी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है।
इस वर्ष के लिए उज्जैन महाकाल सवारी की तिथियाँ निम्नलिखित हैं,
पहली सवारी: 22 जुलाई 2024 (सावन)
दूसरी सवारी: 29 जुलाई 2024 (सावन)
तीसरी सवारी: 05 अगस्त 2024 (सावन)
यह ब्लॉग लिखने तक तीन सवारियां तो निकल चुकी हैं, लेकिन यदि आप जाना चाहे तो अभी भी आपके पास चार मौके और हैं।
चौथी सवारी: 12 अगस्त 2024 (सावन)
पांचवीं सवारी: 19 अगस्त 2024 (सावन)
छठी सवारी: 26 अगस्त 2024 (भादौ)
सातवीं सवारी: शाही सवारी: 02 सितंबर 2024 (भादौ)
MP Ujjain News : बाबा महाकाल की सवारी में 1500 डमरू वादक देंगे विशेष प्रस्तुति, बनेगा विश्व रिकॉर्ड
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